आदि शक्ति की आराधना का पर्व एक वर्ष में चार बार आता है। इनमें दो नवरात्र जिन्हें क्रमश: चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इसके अलावा साल में ही दो और गुप्त नवरात्र भी आते हैं। जिनके बारे में कम जानकारी होने के चलते ही इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं।
आदि शक्ति की आराधना के लिए नवरात्र के 9 दिन बहुत खास होते हैं। इन दिनों मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है।
इसके अलावा इस दौरान उगाई जाने वाली जौ हमें अपने आने वाले समय की ओर भी संकेत करती है। यानि आने वाला समय कैसा होगा
नवरात्र और जौ...
नवरात्रि के समय जो लोग नवरात्रि व्रत और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, वे लोग मिट्टी के बर्तन में जौ भी बो देते हैं। क्या आपको पता है नवरात्रि में जौ क्यों बोए जाते हैं और इसका पूजा में क्या खास महत्व होता है। यदि नहीं तो आइये जानते हैं...
जानकारों के अनुसार हमारे धर्मग्रन्थों के मुताबिक माना जाता है जब सृष्टि की शुरूआत हुई थी तो पहली फसल जौ ही थी। यही कारण है जब भी किसी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो हवन में जौ का इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर जो जौ उगाई जाती है वह भविष्य से संबंधित कुछ बातों के संकेत हमें प्राप्त होते हैं।
- साधारण तौर पर 2-3 दिनो में बोया गया जौ अंकुरित हो जाता है, लेकिन अगर यह न उगे तो भविष्य में आपके लिए अच्छे संकेत नहीं है यानि कि आपको कड़ी मेहनत करने के बाद ही फल की प्राप्ति होगी।
- अगर उगने वाला जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा हो इसका मतलब आने वाले साल का आधा समय ठीक रहेगा।
- अगर वहीं जौ का रंग नीचे से आधा हरा है और ऊपर से आधा पीला हो तो इसका अर्थ है कि आपका साल का शुरूआती समय अच्छे से बीतेगा, लेकिन बाद में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
अगर आपके द्वारा बोया हुआ जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा है तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर ऐसा होता है तो यह मान लिया जाता है कि पूजा सफल हो गयी। आने वाला पूरा साल खुशियों से भरा होगा।