नवरात्रि 17 अक्टूबर से घट स्थापना मुहूर्त 

Share on Facebook

शुभ मुहूर्त सर्वार्थसिद्धि योग में प्रात: काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक हैं। कलश स्थापित करने में नदी की रेत लेकर इसमें सबसे पहले जौ डालें। उसके बाद कलश में इलायची, गंगाजल, पान, लौंग, रोली, सुपारी, कलावा, हल्दी, चंदन, रुपया, अक्षत, फूल डालकर 'ॐ भूम्यै नमः' का जाप करते हुए कलश को स्थापित करें। ज्योतिष में बुध ग्रह रोजगार के कारक व उनके आराध्य देव मां दुर्गा है। जिन व्यक्तिओ को वर्तमान में रोजगार, नौकरी, व्यापार की परेशानी चल रही है, उन्हें नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए।

इस बार नवरात्र आठ दिन के होंगे। अष्टमी और नवमी तिथियों को दुर्गापूजा एक ही दिन होगी। नवमी की तिथि को विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा। पुरुषोत्तम मास बीतने के बाद नवरात्र 17 अक्टूबर को प्रारंभ होंगे और विजय दशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी अर्थात नौ दिनों में ही दस दिनों के पर्व। इसका कारण तिथियों का उतार चढ़ाव है। 24 अक्तूबर को सवेरे छह बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी। ज्योतिषाचार्य ऐस्ट्रो डॉ० काजल मांगलिक के अनुसार दो तिथियां एक दिन पड़ रही हैं। 

इसलिए अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी। जबकि नवमी के दिन सवेरे सात बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि आ रही है। इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होंगे।

कुल मिलाकर 17 से 25 अक्टूबर के बीच नौ दिनों में दस पर्व संपन्न हो रहे हैं। नवरात्र का एक दिन घटना ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता है। मांगलिक कार्य अटके, नवरात्र का इंतजार इन दिनों अधिकमास (पुरुषोत्ताम मास) चल रहा है। मांगलिक कार्य अटक गए हैं। अब नवरात्र का इंतजार है। नवरात्र से ही शुभ लग्न शुरू हो सकेंगे।