घड़ी का अलार्म

Share on Facebook

रात में सोने से पूर्व सभी लोग अपनी घड़ी या फोन में अलार्म लगा कर सोते हैं, ताकि आने वाले कल के लिए समय से पूर्व तैयार हो सकें।  अलार्म लगा कर उठने वाले लोग चार प्रकार के होते हैं।

01. पहले प्रकार वाले वे होते हैं जो अलार्म लगाते हैं परन्तु कभी उठते नहीं हैं। वे इतनी गहरी नींद में सोये हुए हुए होते हैं कि उन्हें घड़ी का अलार्म बजते हुए सुनाई ही नहीं देता। सारी दुनिया उठ जाती है परन्तु वे सोये रहते हैं।

02. दूसरे प्रकार के लोग वे होते हैं जो अलार्म सुनते हैं पर एक झपकी और लेने के लिए बार बार स्नूज बटन दबाते रहते हैं और इस प्रकार अपने उठने के समय को आगे बढ़ाते रहते हैं।

03. तीसरे प्रकार वाले वे होते हैं घड़ी का अलार्म सुनकर उठ जाते हैं, कुछ समय बैठकर सोचते हैं और फिर अलार्म बंद करके सो जाते हैं।

04. चौथे प्रकार के लोग वे होते हैं जो घड़ी के अलार्म को सुनकर उठ जाते हैं और फिर जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए अपने आप को कुछ लाभकारी कार्यों में रत करते हैं।

 

श्रीमद भागवतम और श्रीमद भगवद-गीता के सन्देश घड़ी के अलार्म की ही भांति हैं।

01. पहले प्रकार का व्यक्ति कृष्ण-भावनामृत के विषय में सुनता रहता है परन्तु फिर भी सोता रहता है, यानि वह अपने आप को भौतिक कार्यकलापों में व्यस्त रखता है।

02. दूसरे प्रकार का व्यक्ति सदैव टालते रहता है, वह कहता है, “कल से मैं कृष्ण-भावनाभावित रहूँगा, कल से मैं माला जरूर करूँगा, कल से मैं शास्त्र पढूँगा, कल से मैं गम्भीर हो जाऊँगा, कल से मैं मंदिर जाऊँगा।” वह टालते रहता है।

03. तीसरे प्रकार का व्यक्ति वह होता है जो बहुत अच्छे से कृष्ण-भावनामृत का पालन करता है परन्तु कुछ समय के बाद इन्द्रियतृप्ति से गहन आसक्ति के कारण वापस भौतिक जीवन में लिप्त हो जाता है।

04. चौथे प्रकार का व्यक्ति वह होता है जो इन संदेशों को सुनकर उठ जाता है और चौरासी लाख योनियों में मनुष्य जीवन के महत्त्व को समझकर स्वयं को कृष्ण-भावनामृत क्रियाकलापों में रत करता है।

हम सभी को यह आकलन करना होगा कि हम किस श्रेणी में आते हैं। यदि हम पहले तीन श्रेणियों में आते हैं तो यह एक भयावह परिस्थिति है। क्योंकि निकला हुआ समय किसी भी कीमत पर वापस नहीं आ सकता और यदि इस मनुष्य जीवनावधि में हम भगवान की भक्तिमय सेवा के प्रति आसक्ति उत्पन्न करने में विफल होते हैं तो अंत समय में पछताने के सिवाय कोई और विकल्प नहीं बचता है।

इसलिए हमें चौथे प्रकार के व्यक्ति की भांति अलार्म बजते ही तुरन्त उठकर अपने दैनिक कार्यों में लग जाना चाहिए अर्थात वरिष्ठ भक्तों के मुख से, शास्त्रों से सन्देश प्राप्त होते ही भक्तिमय क्रियाकलापों में लगकर अपना जीवन बिताना चाहिए। तभी हमारा मनुष्य जीवन सफल कहलायेगा।

"जय जय श्री राधे"