घमंड
कितना घमंड है आज के इंसान को। क्या समझता है खुद को? आखिर किस बात का घमंड है इंसान को?
सुंदरता पर घमंड
एक मामूली दुर्घटना में दो मिनट में ही इंसान की सुंदरता गायब हो जाती है। वो रोगी बन जाता है।चमड़ी देखने लायक नहीं होती।
बदन पर घमंड
जब इंसान को लकवा हो जाता है तब वो खुद उठ नहीं सकता हिल नहीं सकता बार बार उसे सहारे की जरूरत पड़ती है। तब कहाँ जाता है उसका ये बदन।
पैसे का घमंड
दो मिन्ट में इंसान का व्यापार ठप हो जाता है, पाई पाई का मोहताज बन जाता है।
औलाद का घमंड
बेटा हो या बेटी कब कोई ऐसा कदम उठा ले कि सारा अहंकार धरा का धरा रह जाए। कब घर छोड़कर चला जाए
सत्ता का घमंड
सता कभी भी पलट सकती है। आप किसी भी समय हीरो से जीरो हो सकते हो। आपके साथ चलने वाले आपकी हाँ में हाँ मिलाने वाले दो ही पल में पलटी खायेगें। फिर सत्ता नहीं तो क्या करोगे।फिर भी इंसान को इतना घमण्ड क्यों? इंसान क्या लेकर आया था क्या लेकर जाएगा कुछ भी नहीं खाली हाथ ही जाएगा। कोई साथ नहीं जाएगा
एक सुई तक भी साथ नही जाएगी। बस जाता है नाम ,आपका नाम, आपका काम, आपके गुण, आपका प्यार, आपका अच्छा व्यवहार और आपके अच्छे प्यारे बोल।
छोड दें - दूसरों को नीचा दिखाना।
छोड दें - दुसरो की सफलता से जलना।
छोड दें - दूसरों के धन से जलना।
छोड दें - दूसरों की चुगली करना।
छोड दें - दूसरों की सफलता पर इर्ष्या करना।
ये सब मिथ्या है।