पूजा करते समय कमर और गर्दन सीधी क्यों रखनी चाहिए? गीले सिर पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?

Share on Facebook

जब हम पूजा करते हैं तो कमर और गर्दन को सीधा रखने को कहा जाता है। ऐसा क्यो कहा जाता है? इसका मुख्य कारण है कि जब हम पूजा करते हैं तो ध्यान अंतिरक्ष में जाता है और ध्यान को ऊपर ले जाने में सुषुम्णा नाड़ी का बहुत बड़ा योगदान होता है। यह नाड़ी रीड की हड्डी में से होकर ब्रह्मरंध्र चक्र से जुड़ी होती है। अगर कमर और गर्दन झुक जाएंगी तो नाड़ी भी झुक जाएगी। अगर नाड़ी झुक जाएगी तो ब्रह्मरंध्र की नाड़ियाँ धुलोक से संपर्क बनाने में असमर्थ हो जाती हैं, क्योकि तरंगो की दिशा नीचे की ओर हो जाती है और जो ध्यान की तरंगे ऊपर को जानी चाहिए वो नीचे को जाना शुरू कर देती हैं। ध्यान हमेशा ऊपर को सोचने से ही लगता है। इसलिए हवन यज्ञ ध्यान और पूज पाठ मे हमेशा कमर और गर्दन को सीधा रखना चाहिए।

अगर आप जल्दीबाजी में गीले सिर पूजा करते हो तो बहुत हानिकारक होता है तथा जमीन पर बिना कुचालक आसन के बैठ जाते हो तो भी बहुत हानिकारक होता है। जब आप पूजा करते हो तो उस समय आपके शरीर से विद्युत तरंगे निकलती हैं और आपका सिर गीला होता है तो वो विद्युत तरंगे गीले सिर के वालो में ही विलय कर जाती हैं, जिसके कारण ध्यान क्रिया तो बाधित होती ही है इसके साथ-साथ सिर में भयंकर बीमारियो का जन्म हो जाता है।

इसी प्रकार जब आप खाली जमीन पर बैठते हो तरंगे मूलाधार चक्र से भी गुदा के द्वार से बाहर निकलती हैं तथा वो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में संपर्क बना लेती हैं जिसके कारण वो तरंगे जमीन में चली जाती हैं, जो शरीर की पॉज़िटिव ऊर्जा को खीच लेती है  जो ध्यान से उत्पन्न होती है, क्योकि पृथ्वी सुचालक का काम करती है इसलिए पूजा करते समय कुचालक आसन का प्रयोग करना चाहिए जिससे उत्पन्न तरंगे सीधे ऊपर की ओर जाये तथा ध्यान और पूजा मे सहायक बन जाए।