क्योंकि इस मास में भगवान ने बहुत सारी लीलाएँ की हैं....जो इस प्रकार हैं...
1. शरद पूर्णिमा - इस दिन भगवान कृष्ण ने राधारानी ओर गोपियों के साथ रास किया था। शरद पूर्णिमा की रात्रि से ही कार्तिक मास शुरू हुआ था।
2. बहुलाष्टमी - यह दिन राधाकुण्ड श्यामकुण्ड के आविर्भाव का स्मरणोत्सव है। इसी दिन कृष्ण और राधारानी ने श्यामकुंड, राधाकुंड का निर्माण किया था ।
3. रमा एकादशी - कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाए जाने वाली एकादशी रमा एकादशी कहा जाता है। भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है इसलिए इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन विष्णु के पूर्णावतार केशव रूप की भी अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं होता है।
4. धनतेरस - इस दिन धन्वतंरी भगवान अमृत ओर आयुर्वेद की ओषधियों के साथ प्रकट हुए थे।
5. नरका चतुर्दशी - इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था|
6. दामोदर लीला - इसी मास में दिवाली के दिन मैया यशोदा ने भगवान कृष्ण को उखल से बांधा था जिससे उनका नाम दामोदर पड़ा अर्थात जिनका उदर (पेट) दाम (रस्सी) से बंध गया और इसलिए कार्तिक मास का नाम दामोदर मास पड़ा ।
7. दिवाली - भगवान राम 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटे ।सभी अयोध्या वासियों ने दियें जलाये जिसे दिवाली के रूप में आज भी हम मानते हैं ।
8. गोवर्धन पूजा - दिवाली के पश्चात गोवर्धन पूजा की जाती है । भगवान कृष्ण ने अपनी बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था| इस दिन भगवान को 56भोग लगाये जाते
हैं ।
9. गोपाष्टमी - भगवान कृष्ण ने गाय चराना शुरू किया ।
10. उत्थान एकादशी (देवउठनी एकादशी) - इस दिन 4 महीनो बाद भगवान उठते हैं।इसलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं ।
11. तुलसी विवाह - भगवान कृष्ण और तुलसी महारानी का विवाह होता हैं ।
कार्तिक मास में संध्या समय श्री यमुना जी मैं दीपदान अर्पण करने का विशेष महत्व है। संध्या समय अपने घर पर श्री ठाकुर जी के आगे भी एक दीपक अवश्य जलाएं खासकर कार्तिक मास में इस विषय में पद्म पुराण में कहा गया है........
"कार्तिक मास में मात्र एक दीपक अर्पित करने से भगवान श्री कृष्ण बहुत ही प्रसन्न होते हैं भगवान श्री कृष्ण ऐसे व्यक्ति का गुणगान भी करते हैं जो दीपदान श्री यमुना जी मैं करते हैं या करवाते हैं अपने नाम और गोत्र से ।"
स्कंदपुराण के अनुसार-
‘मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः।
तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।’
अर्थात् भगवान विष्णु एवं विष्णुतीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है।